राशि त्रिवेदी भूतो पर रिसर्च करने वाली एक पैरानॉर्मल एक्सपर्ट है और वो पहाड़ो की वादियों में घूमने के लिए आयी थी । राशि को वहा के लोगो से पता चला की वहा पहाड़ी के पास शाम के बाद जाना मना है क्योकि वहा पर कोई आत्मा का साया है ।
राशि को ये बात जैसे ही पता चली वैसे ही उसने तय कर लिया की में इस पहाड़ी आत्मा का राज जानने के बाद ही यहाँ से जाउंगी । जैसे ही शाम हुई की राशि वहा पर पहुंच गयी और उसने अपनी पैरानॉर्मल एक्टिविटी से आत्मा के साथ बात करने की कोशिश की ।
उस आत्मा ने राशि को शुरुआत में बहुत डराया । कभी वो राशि के पीछे आ जाती तो कभी आगे । वो अजीबो गरीब आवाज निकाल कर राशि को डराती थी ।
आखिर राशि ने अपने पैरानॉर्मल एक्टिविटी से उस आत्मा पर नियंत्रण पा लिया और उसके बाद उसने आत्मा से बात करने की कोशिश की ।
आत्मा से बात करने के बाद जो राशि को पता चला उससे राशि की आँखों में आंसू आ गए । ये आत्मा एक पिता की थी । एक ऐसे पिता की जो कबसे अपने बेटे के शहर से आने का इंतजार कर रहे थे
इस पिता ने अपनी पत्नी के गुजर जाने के बाद बेटे को अकेले संभाला था । पिता ने बेटे को कभी भी माँ की कमी महशुस नहीं होने दी थी । इसी पहाड़ी वादियों में बेटे के रूप में अपना बचपन जिया था ।
जैसे ही बेटा थोड़ा बड़ा हुआ की पिता ने बेटे को कुछ अच्छा बनने के लिए और पढाई करने के लिए अपने दिल पर पत्त्थर रख कर बेटे को शहर पढ़ने के लिए भेज दिया ।
बेटे ने शहर जाकर वहा पहले पढाई की और बाद में जॉब करने लगा । कुछ समय के बाद बेटे ने शादी भी कर ली लेकिन उसके पिता सिर्फ यही आस में बैठे थे की उसका बेटा आएगा और उसका सहारा बनेगा ।
कुछ सालो बाद बेटा पिता से मिलने के लिए आया और पिता को लगा की उसका बेटा अब उनके साथ ही रहेगा लेकिन उसका बेटा कुछ और ही चाहता था
बेटे ने पिता से कहा की पापा आप मेरे साथ शहर चलिए यहाँ शहर जैसी मजा अब नहीं रही है ! लेकिन पिता को बेटे की ये बात कुछ हजम ना हुई ।
पिता ने बेटे से कहा की बेटा यहाँ पर तुम्हारी माँ की यादे बसी है और तुम्हारा बचपन भी बसा है , में ये सब छोड़कर कैसे शहर आऊंगा ? बेटे ने पिता से कहा की पापा अगर आप को यहाँ पर रहना है तो रहो में तो शहर में ही ज्यादा खुश हु ।
पिता के बहुत मनाने के बावजूद भी बेटे ने पिता की एक नहीं सुनी और वो अपने पिता को छोड़कर शहर चला गया । पिता अपने एकलौते बेटे के जाने का गम बरदास ना कर पाए और कुछ समय बाद पिता बेटे के इन्तजार में ही मर गए ।
आज भी उस पिता की आत्मा अपने बेटे के इन्तजार में उन पहाड़ी वादियों में भटकती है । राशि त्रिवेदी का दिल ये सब जानने के बाद भर आया और वो वहा से बहार निकल गयी
राशि ने बहार निकल कर वहा के सभी लोगो से कहा की पहाड़ी पर डरने वाली कोई बात नहीं है , वो आत्मा किसी को कोई भी नुकसान नहीं पहुचायेगी ।
इसके बाद राशि सारा दिन ये सोचती रहती है की क्यों एक औलाद माँ – बाप को ऐसे छोड़ देती है और माँ – बाप मर कर भी औलाद को नहीं छोड़ पाते है
ये कहानी केवल मनोरंजन के लिए है इसके पीछे हमारा उदेश्य किसी भी प्रकार की अंधश्रध्धा का प्रसार करने का नहीं है ।
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