यह कोई कहानी नहीं है और ना ही यह घटना है। यह एक रहस्यमई बात है आखिर ऐसा कैसे हो सकता है।
अगर कोई व्यक्ति संगीन जुर्म करता है तो उसे जेल हवा खानी पड़ती है। और उसे जेल के हीं तौर तरीके अपनाने पड़ते हैं, जेल की सूखी रोटी ही उनका निवाला बनती है। उन्हें अपने घर की स्वादिष्ट रोटियां भूलनी पड़ जाती है। और मजबूरी बस उन्हें जेल की रोटियां तोड़नी पड़ती है
कहां जाता है पंछी में सबसे नीच कौवा होता है।
कौवे को यह मतलब नहीं रहता की उनके खाने के लिए क्या है। उन्हें जो भी मिलता गंदा या सड़ा गला मांस कुछ भी खा लेते हैं। अगर आप कौवे को कुछ भी खाने के लिए देंगे तो वह जरूर उठा लेगा , वह यह नहीं सोचता कि उसे क्या दिया गया है। परंतु यहां एक बात गौर करने वाली है। यह बिल्कुल सच बात है
जेल में रहने वाले कैदियों को जो खाना परोसा जाता है। सारे कैदियों के खा लेने के बाद भी जो भोजन बचता है। उसे जेल के बाहर कूड़े में फेंक दिया जाता है। यह शत प्रतिशत सच बात है की उस खाने के आसपास कव्वे या अन्य पक्षियों की झुंड लगी रहती है। परंतु उनमें से एक भी पंछी उस खाने को नहीं छूता, कौवा उस खाने की तरफ ध्यान भी नहीं देता कि वहां खाना भी है। और वह गंदे सड़े गले मांस खा लेता है लेकिन वह उस खाने को सूंगता तक नहीं।
आखिर ऐसी क्या बात है उस खाने में जिसे पंछी भी हाथ नहीं लगाता। क्या रहस्य है उस रोटी के पीछे, की एक पंछी भी समझता है यह बुरी चीज है। जो सिर्फ मजबूरियों में खाया जाता है और यह मेरे लायक नहीं है। एक पंछी के पास इतना समझ कहां से आया, यह एक बहुत ही अनसुलझी रहस्य है।
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