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कोई तो है || Asli Bhutiya Kahani || 2021 ||


 


मैं बात कर रहा हूं वर्ष 2002 की उस समय लोगों के पास मोबाइल फोन से लेकर यातायात के भी अच्छे साधन मौजूद नहीं थे। उस समय ज्यादातर लोग छोटी दूरी पैदल ही तय किया करते थे। 

उसी वर्ष 2002 में बिहार राज्य के एक छोटे से गांव हैदरपुर में जो खौफनाक घटना घटी वह बेहद डरावनी थी।

कहां जाता था कि उस समय हैदरपुर के लोग भूतप्रेत संबंधी बातों पर यकीन रखा करते थे यह उनका अंधविश्वास था या विश्वास हमें नहीं मालूमपर अचानक एक दिन कुछ अलग हुआ बेहद अलग जो हर एक व्यक्ति को चिंतन करने पर मजबूर कर दिया।।।

उस वक्त हैदरपुर में पानी की उतनी अच्छी व्यवस्था नहीं थी लोग मजबूरी बस कुएं का पानी एवं तालाब का पानी पिया करते थे।

इस कारण हैदरपुर में कुएं की भरमार थी लोग जहां से चाहते वहां से पानी ले सकते थे। पता नहीं कैसे पर हैदरपुर में एक भी चापाकल नहीं था। गांव से 2 किलोमीटर दूर पर एक स्कूल था जहां हैदरपुर के बच्चे खेतों की पगडंडियों से होकर स्कूल जाया करते थे। रास्ते में आम का एक बहुत बड़ा वृछ था यह पेड़ गांव एवं स्कूल के एकदम बीच में था। गर्मी के दिनों में स्कूल से आने जाने वाले बच्चे अक्सर वहां उस पेड़ से आम तोड़ने के लिए चले जाते थे।


अचानक एक दिन गांव में कुए का पानी सूख गयाव भी एक कुएं का नहीं बल्कि सारे कुएं का पानी सूख गयागांव के लोग बौखला गए समझ नहीं आ रहा था कि आखिर यह कैसे हो गया। आज तक इतनी गर्मी पड़ी लेकिन कभी भी कुएं का पानी नहीं सुखा पर आज ऐसे कैसे हो गया।।

उसी दिन गांव में एक पंचायत बैठीजिसमें गांव के लोगों ने यह बात रखी थी फिर से नए कुएं खुदवाआ जाएपर सरपंच ने एक बात कही की अब कुएं नहीं खुदबाय जाएंगे,  मैं किसी भी तरह से अब 10 से 12 चापाकल गढ़वा दूंगा , कौन जानता है कि कुएं का पानी फिर से नही सूखेगा इससे बेहतर है कि चापाकल ही लगाया जाए।।

चापाकल लगते लगते तकरीबन 1 महीने हो गए तब तक लोगों ने सिर्फ तालाब का पानी ही पिया और उसी से अपना काम चलाया क्योंकि तालाब का पानी अभी नहीं सुखा था।

महीनों बाद जब चापाकल गांव में लग गई तो लोगों ने राहत की सांस लीपर आगे जो उनके साथ होने वाला था गांव वालों ने उसके बारे में सपने में भी नहीं सोचा था।


स्कूल से आते वक्त जब कुछ बच्चे घर जाते थे और कुछ आम के पेड़ से आम तोड़ने लग जाते थे। 1 दिन अचानक जो बच्चे आम तोड़ने गए थे उनका कुछ पता नहीं चला वह लापता हो गए थे।

वे बच्चे जब समय से घर नहीं आए तब उनके मातापिता को शक हुआ कि आखिर वे कहां चले गएक्योंकि आज तक कभी किसी बच्चे के साथ ऐसा नहीं हुआ था। गांव में उन बच्चों की ढूंढने की प्रक्रिया चालू हो गई पर वह कहीं नहीं दिखेलोगों को समझ आ गया था कि कुछ तो गड़बड़ है इसलिए लोगों में सबसे पहले उस आम के पेड़ के पास गए , आम का पेड़ पहले की तरह हराभरा नहीं था वह थोड़ा मुरझा सा गया था।


जब गांव वालों ने पेड़ की दाहिनी तरफ देखी वही लापता 3 बच्चे मरे पड़े थे। लोगों को बहुत हैरानी हुई कि आखिर यह कैसे हो गया बच्चे के शरीर पर कई जगह पर चोट के निशान थे लोगों ने समझा कि शायद बच्चे खेलखेल में कूदकर गिर गए हैं और उनकी मृत्यु हो गई है।

उसी वक्त गांव वालों ने उस पेड़ को अशुभ  मानकर वहां आम तोड़ने से बाकी सारे बच्चे को मना कर दिया , और उन्हें कड़ी हिदायत दी कि अब से इस पेड़ को कोई नहीं कि छुएगा।।।

इस घटना के 3 दिन बाद जो बाकी सारे बच्चे घर को लौट रहे थे तो उन्हें ऐसा लगता था की ऊपर से कोई औरत उन्हें अपनी ओर  बुला रही हो , स्कूल जाने वाले एक नहीं सारे बच्चों ने ऐसा महसूस किया उन्हें आवाज आती थी पीछे से किसी औरत के चलने की और पुकारने की भी


इस बात को जब बच्चे अपने घर आकर अपने परिवार वालों से कहीं तो उन्हें यकीन नहीं हुआ

बाद में देखा गया कि गांव में बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी , उनके पीठ पर कई सारे नाखून के खरोच से लगे हुए थे। सिर्फ एक बच्चे के साथ नहीं बल्कि गांव के सारे बच्चे के साथ ऐसा हो रहा था। स्कूल को तकरीबन 2 महीने के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया।

सारे बच्चे अपने आप से कुछ ना कुछ बुदबुदाते रहते थे यह बात उनके मातापिता को बेहद अजीब लगीउन बच्चों को देखकर ऐसा लगता था कि मानो वह किसी से बात कर रहे हो जिनको सिर्फ वह देख रहे हों लेकिन हम लोग नहीं…..

गांव वाले समझ चुके थे कि हो ना हो यह सब उसी पेड़ की वजह से हो रहा है। सारे गांव वाले ने उस पेड़ को गिराने का फैसला किया और उसे गिराने के लिए वहां चले गए।

काफी मशक्कत के बाद लोगों ने उस पेड़ को आखिरकार गिरा ही दिया , हरा भरा पेड़ गिरते ही तुरंत सूख गया यह देख गांव वाले को काफी हैरानी हुई उन्होंने यह भी देखा कि पेड़ की जड़ के नीचे कई सारी सफेद साड़ियां रखी हुई है। सारे लोगों को लगा कि आखिर इतनी सारी सफेद साड़ियां किसकी है और यहां कैसे आईअभी तुरंत ही गांव वालों ने उस पर मिट्टी का तेल छिड़क उसे जला दिया और उस पेड़ को भी


बाद में गांव वाले समझ चुके थे कि इस पेड़ पर प्रेत वास करता था इस पेड़ की जड़ ही सारी कुएं तक फैली हुई थी जिसकी वजह से या हरा भरा था लेकिन सारी पानी सूखने के बाद खुद जल गया।।।


इस घटना के बाद बच्चे की तबीयत तो सुधर गई लेकिन वहां सारे बच्चे कभी ना कभी रात में उस पेड़ का स्वप्न देख ही लेते हैं। अजीब बात यह है कि वह बच्चे भी सपने देखते हैं जो इस घटना के बाद में जन्मे हैं जिनको यह घटना सुनाई भी नहीं गई हो

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