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प्रेत का साया || Bhoot Pret Ki Sachi Kahani || 2021 ||


 


यह एक सच्ची घटना है। लखनऊ की रहने वाली रोमिया कीरोमिया बताती है कि मेरी शादी हुए 2 हफ्ते हो गए थे। मैं और मेरे पति कहीं घूमने के इरादे से प्लान बना ही रहे थे कि अचानक मुझे हिमाचल का ख्याल आया और हम लोग वही जाने के लिए तैयार हो गए। तकरीबन सब समान हम लोग पैक कर चुके थे और अब बस कल सुबह की इंतजार थी कि अब जल्दी सुबह हो और हम दोनों वहां जाएं।

 

हम लोग हिमाचल जाने के लिए रवाना हो गए थे। हिमाचल पहुंचकर हम लोग ने एक रूम किराए पर लिया सोचा कि 2 से 3 दिन तक रुक कर हिमाचल का भरपूर आनंद ले। साउथ के तकरीबन 2:00 बज रहे होंगे हम लोग साथ में सोए हुए थे एक ही बेड पर। कि अचानक मुझे लगा कि कोई दरवाजे पर दस्तक दे रहा है उसी की आवाज से मेरी नींद खुल गई। मैं दरवाजे के पास गई और पूछा कि कौन है बाहर क्या चाहिए इतनी रात गए यहां क्या कर रहे हो। पर बाहर से कुछ आवाज नहीं आई।


फिर मैंने सोचा शायद बेटर होगा जो अब चला गया होगा। और मैं लौटकर फिर बेड पर आकर सो गई। अभी मेरी आंख ही लगी थी कि फिर मुझे बाहर से किसी की आवाज सुनाई दीमैंने सोचा कि मैं इनको उठा कर बोलती हूं बाहर देखने को लेकिन फिर सोचा क्यों किसी का नींद खराब करूं कोई होगा मैं खुद जाकर देखती हूं।


और मैं फिर से दरवाजे के पास आकर पूछा कौन है बाहरलेकिन बाहर से कोई आवाज नहीं आईमैंने दरवाजे को खोल दिया तो देखा कि बाहर कोई भी नहीं है मैं थोड़ी दूर जाकर भी इधर उधर देखी कोई नजर नहीं आ रहा था रात काफी हो चुकी थी और चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। अब मुझे डर लगने लगी मैं डर कर रूम के अंदर आ गई और दरवाजे को लगा लिया।

 

काफी कोशिश कर रही थी सोने की लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं बेड पर लेटी हुई थी कि अचानक फिर से बाहर से कुछ आवाज आईमुझे लगा कि दरवाजे के बगल से कोई गुजर रहा हो। मैं डर गई थी


मैंने अपने पति को जगाया और मैंने उनसे कहा लगता है बाहर कोई है तो उन्होंने जवाब दिया सो जाओ कोई बेटर होगा जो सामान इधर उधर कर रहा होगा डरने की कोई बात नहीं है।

 

फिर मुझे भी लगा कि हो सकता है कोई बेटर होगा। और मैं अपने बेड पर आकर आंखें बंद कर ली। कि फिर अचानक ही मुझे बाहर किसी की रोने की आवाज सुनाई दी वह आवाज किसी औरत की थी। एकदम डरावनी आवाज


बहुत घबरा गई। अब मुझे अच्छा नहीं लग रहा था की हर बात पर इन्हें जगाना यह काफी नींद में थे बिल्कुल आराम से सोए हुए मानो उनके कानों में वह रोने की आवाज पढ़ ही नहीं रही हो। उधर बाहर से आ रही आवाज धीरेधीरे और तेज हो रही थी आवाज ऐसी आ रही थी मानो कोई दरवाजे के ऊपर हो तो कभी नीचे।

 

मैं डर गई और जल्दी से कमरे में लाइट को ऑन किया पर यह क्या लाइट भी नहीं जल रही थी शायद बिजली चली गई थी। तो फिर मैंने अपने मोबाइल के फ्लैश को ऑन किया और दरवाजे के एकदम पास जाकर अपने कानों को उसके मध्य रखकर आ रही आवाज को पहचानने की कोशिश करने लगी।

 

अचानक ही आवाज बिल्कुल समाप्त होगी लेकिन मैं अपने कानों को वहीं दरवाजे के पास रखी रहीपर कुछ मिनटों बाद भी मुझे कुछ आवाज नहीं आई तो मैं वहां से थोड़ा पीछे हट गई। पीछे हटने के साथ ही दरवाजे के बाहर से फिर आवाज आने लगी अब मुझे डर लगने लगा था कि आखिर यह हो क्या रहा है मेरे साथ।

 

मैंने घड़ी में समय देखा तो रात के 2:30 बज रहे थे मुझे लगा कि इतनी रात को कोई औरत यहां क्यों रो रही है वह भी मेरे दरवाजे परशायद मुझे एक बार फिर से बाहर जाकर देखना चाहिए। मैं काफी हिम्मत जुटाकर दरवाजे को खोल दिया,

दरवाजा खुलते के साथ ही मैंने बाहर देखा तो बाहर कोई नहीं था और आवाज भी आनी बंद हो गई थी। अब मैं पूरी तरह डर चुकी थी मेरे हाथ पैर कांपने लगे और अचानक ही मुझे ऐसा लगा कि मेरे पीछे कोई खड़ा है। मैं जैसे ही पीछे मुड़ा तो देखा कि धर कोने में कोई बैठा हुआ है मैं डर कर दो कदम पीछे हट गईमैंने पूछा कौन है वहां क्या चाहिए


मैंने देखा कि वह आकृति धीरे धीरे मेरी ओर बढ़ने लगी वह आकृति किसी औरत की थी जो काफी लंबी थी और डरावनी भी।

 

मैं चिल्लाकर अपने कमरे में आ गई और दरवाजे को अंदर से लगा लिया। मेरी आवाज सुनकर मेरे पति जाग गए और मुझसे पूछा कि तुम इतने डरे हुए क्यों हो क्या हुआ तुम्हें तुम तो एकदम पसीने से भीगी हो आखिर हुआ क्या कुछ तो बताओ। तो मैं डरी हुई आवाज में सारी बात बताई।

तो उन्होंने कहा ठीक है अगर ऐसी बात है तो हम लोग यहां से चले जाएंगे तुम परेशान मत हो अब तुम आराम करो और अब फिर बाहर मत जाना। और इतना कह कर वह खुद अपनी आंखों से बाहर जा कर देखा और आकर हमसे कहने लगे कि बाहर तो कोई भी नहीं है तुम खामोखा परेशान हो रही हो जाओ अब कुछ ही घंटों में तो सुबह हो जाएगी।

पर मुझे रात भर नींद नहीं आई वहीं आकृति मेरी आंखों के सामने घूम रही थी इतनी डरावनी आकृति मैंने आज तक कभी अपने जीवन में नहीं देखी रात भर यही ख्याल आता रहा कि वह औरत कौन थी वह मुझसे क्या चाहती थी। और इसी उधेड़बुन में सुबह हो गई और मैं अपने पति के साथ हिमाचल से लौट गई

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