यह बात उस समय की है जब मेरी गर्मियों की छुट्टिया चल रही थी। उस समय ,में अपने मामा के गावं छुट्टिया बिताने गया हुआ था। वो गावं बहुत ही सुन्दर था और वहां के खेत खलियान और पहाड़ भी काफी सुन्दर थे। गावँ पहाड़ो के बिच में बना हुआ था। वहा के लोग भी काफी अच्छे थे और मैत्री स्वभाव के थे। दिन में वहा पर काफी गर्मी पढ़ती थी ,पर रात वहा एक दम शीतल होती थी। मैं और मेरे मामा रात में घर के बाहर ही खाट बिछा कर सोते थे।
एक बार मैं देर रात तक अपनी मामीजी से बाते कर रहा था। बातों ही बातो में ,मैं मामाजी से पूछने लगा कि ” मामीजी यह बताइये इस गावं में आपने कोई चुड़ैल बुड़ैल नहीं देखी है क्या ? ” वैसे में आपको बता दू मुझे भूत चुड़ैल की कहानिया सुनना काफी दिलचस्प लगता था।
पर मेरी मामीजी बोली कि रहने दे फालतू में तू डर जायेगा और रात को ढंग से सो भी नहीं पायेगा।
पर मैं भी कहा मानने वाला था मेने भी ज़िद पकड़ ली कि कहानी तो आपको सुनानी ही पड़ेगी।
मेरी ज़िद के आगे वो भी नतमस्तक थी | उन्होंने कहा कि इस गावँ मे बहुत सी चुड़ैले रहती है, पर किसी को दिखती नहीं है।
मैं बीच मे ही बोल पड़ा कि जब किसी को वो दिखती नहीं है तो फ़िर कैसे पता की वो यहाँ रहती है?
मामीजी बोली कि हा किसी ने उन्हें देखा तो नहीं है पर फ़िर भी कुछ लोगो ने उन्हें महसूस किया जरूर है |
मैं बोला कि” क्या आपने उन्हें देखा या महसूस किया है? “
मामीजी – हा शायद | हहह हाहाहा…
मामीजी आप मुझसे मज़ाक मत करो अगर आपने देखा है तो बताओ, मेने उनसे पूछा।
उनका जवाब “नहीं”था।
मुझे उनसे कहानी सुननी थी पर उन्होंने मुझे कोई कहानी नहीं सुनाई।
मैं बाहर जाकर अपनी खाट पर लेट गया | मामा पहले से ही सो चुके थे | मैं भी सोने की कोशिश कर रहा था पर ना जाने क्यू मुझे नींद ही नहीं आ रही थी | मैं बस उन्ही सब चीज़ो के बारे मे सोच रहा था कि ना जाने कब मुझे नींद आ गयी।
मुझे सही से तो नहीं पता पर शायद आधी रात को मेरी नींद अचानक से किसी की पैरो की आवाज से खुली | उस समय मेरे मामाजी तो सो ही रहे थे |मैं आश्चर्य मे था कि इतनी रात को कौन हो सकता है? पर मेरी इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं खाट से उठकर पीछे देखु कि कौन चला आ रहा है।
उस समय, मैं थोड़ा डरा हुआ भी था क्यूंकि उस रात मैं मामीजी से भुत चुड़ैल की बाते कर रहा था | मेने सोचा कि चुपचाप होकर देखता हुँ कि कौन है?
धीरे धीरे वो आवाज बढ़ती जा रही थी। वो जो कोई भी थी धीरे धीरे मेरे पास आ रही थी।
मेने देखा कि एक बुढ़ी-सी औरत ,जिसने काले रंग की साड़ी पहन रखी थी और वो झुककर चल रही थी। वो मुझसे अब थोड़ा आगे निकल गयी और एक जगह जाकर रुक गयी।
मेने देखा कि एक बुढ़ी-सी औरत ,जिसने काले रंग की साड़ी पहन रखी थी और वो झुककर चल रही थी। वो मुझसे अब थोड़ा आगे निकल गयी और एक जगह जाकर रुक गयी।
मैं अब भी उसे देख रहा था और सोच रहा था कि ये क्यू रुकी है ?
कि तभी वह पीछे मुड़ी | जहा वह रुकी थी ,वहां बल्ब की हल्की सी रौशनी पड़ रही थी | मेने उसका चेहरा देखा और सच कहु तो मैं उसका चेहरा देख कर डर गया | उसकी नाक लम्बी थी और उसके चेहरे पर अजीब सी डरावनी हँसी थी | उसकी आंखे ऐसी लग रही थी जैसे वो मुझको ही देख रही है |मेने अपनी आँखे बंद कर ली और चुपचाप ऐसे दिखाने लगा जैसे मुझे कुछ भी नहीं पता है |
थोड़ी देर बाद मेरे कानो मैं एक आवाज़ आयी, हहह..
तुझे क्या लगता है मुझे नहीं पता चला कि तू मुझे देख रहा है |
मैं एकदम से नींद से उठा, सुबह होने मे अभी भी कुछ समय बाकि था।
मैं बोला भगवान का शुक्र है कि यह एक सपना था।
दोपहर के समय गावँ के ही एक घर मे लोगो का जमावड़ा ( भीड़ ) लगा था | सब लोग चिल्ला रहे थे कि इस पर चुड़ैल आयी है | मैं भी उनकी ही भीड़ मे खड़ा था | सामने एक औरत पागलो की तरह हरकतें कर रही थी | सब लोग बोल रहे थे कि इसपे चुड़ैल का साया है | कोई कह रहा था कि रात को यह बाहर पेशाब करने गयी फ़िर लोटी ही ना, सुबह यह गावँ के आखिर मे बने बरगद के पेड़ पर बैठी थी और कुछ गावँ वाले इसे वहा से लेकर आये है।
वो सबको देख कर हंस रही थी | एक समय ऐसा भी आया, जब उसने मेरी तरफ देखा और हसते हुऐ बोली कि
तुझे क्या लगता है मुझे नहीं पता चला कि तू मुझे देख रहा है।
मैं समझ गया था कि मेने जो रात मे देखा था वो मेरा सपना नहीं बल्कि हकीकत थी | मैं बहुत डर गया और वहा
से भाग गया।
अगले ही दिन मेने मामाजी से बोला कि मुझे मेरे घर छोड़ आये।
मुझे नहीं पता कि वो औरत (चुड़ैल ) कौन थी? वो मुझे क्यू दिखी
वो मुझसे क्या चाहती थी?
मुझे नहीं पता उस गावँ की औरत के साथ उसने क्या किया?
पर अब भी मैं उस रात के बारे मे सोचता हुँ तो डर जाता हुँ।
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