यह कहानी हमारे गाँव की काली चुड़ैल के बारे में है। गाँव के लोगों का कहना है कि वह जंगल के किनारे पर बने बरगद के पेड़ पर रहती है और वहाँ से गाँव के बच्चों को देखती रहती है और जो बच्चा उसे पसंद आता है, वो उस बच्चे को अपना शिकार बनाने के लिए तैयार रहती है।
पर वो चुड़ैल इस गाँव में नहीं आ सकती क्योंकि हमारे गाँव में हनुमान जी का मंदिर है और उसे गाँव के बाहर उस बरगद के पेड़ पर बाँध रखा है
इसलिये वो चुड़ैल किसी बच्चे का उस के पेड़ तक आने का इंतज़ार करती है और फिर उसे अपने वश में करके मार कर खा जाती है। ऐसा गांव के सभी लोग बोलते है इसलिए इस गाँव का कोई भी बच्चा जंगल के किनारे पर खड़े उस बड़े से बरगद के पेड़ के पास नहीं जाता है।
यह सब बातें, सोनू शहर से आये अपनी मौसी के लड़के पिंटू से कह रहा था।
पिंटू शहर का था और उसे इन सब बातों पर विश्वास नहीं था और वैसे भी ये बच्चें थे 10 से 12 वर्ष की उम्र के।
पिंटू उनसे बोला “हाहाहा…. यह सब झूठ है दोस्तों गांव के लोग आपको झूठ बोलते है।”
तो सोनू उससे बोला “नहीं यह सब सच है और हम रात में, तुम्हें उस चुड़ैल की आवाज सुना सकते है।”
तो पिंटू बोला चलो ठीक है। आज शाम हम सभी इसी जगह मिलेंगे और फिर सब मिलकर उस चुड़ैल की आवाज सुनेंगे।
ठीक शाम के साढ़े 6 बजे सभी बच्चे, पिंटू और सोनू सहित उसी जगह पर इकट्ठे हो गये
तब सोनू उनसे बोला “हमें उस की आवाज यहाँ सुनाई नहीं देगी। हमें इसके लिए उस पुराने खंडहर के अंदर जाना होगा जो गाँव के सबसे आखिरी में है।”
सभी बच्चें उस जगह गये और सब वहाँ जाकर उस चुड़ैल की आवाज़ सुनने लगे। पर उनमें से किसी को भी उसकी आवाज सुनाई नहीं दी।
तब पिंटू बोला “मैंने तो पहले ही कहा था कि गाँव वाले बस बच्चों को डराने के लिए उस चुड़ैल की कहानी बताते है
सभी बच्चों बोले कि नहीं ऐसा नहीं है, रोज़ वो चुड़ैल रात में हँसती है और सभी से बोलती है कि मेरे पास आओ, मैं भूखी हूँ।
ऐसा कहकर सब बच्चें उस जगह से जाने लगे और पिंटू भी उनके साथ-साथ उनका मजाक उड़ाते हुवे जा रहा था।
सब बच्चें आगे थे और पिंटू उनके पीछे-पीछे चल रहा था। थोड़ी ही दूर गया होगा कि तभी उसे किसी के हँसने की आवाज आई और किसी ने कहा “हाहाहा… मेरे पास आओ पिंटू, मैं भूखी हूँ।”
पिंटू यह सुनकर डर गया और काँपने लगा। उसके मुँह से आवाज नहीं निकल रही थी पर किसी तरह उसने अपने भाई सोनू को आवाज लगाई। तो सोनू और बाकी के सभी बच्चें उसके पास दौड़कर आये और बोले “अरे! तुझे क्या हो गया है? तू काँप क्यों रहा है?”
वो बोला कि मैंने अभी किसी को मेरा नाम लेते हुवे सुना है। क्या तुम सभी ने भी सुना था। सब बच्चें बोले “नहीं हमने तो कुछ भी नहीं सुना।”
सभी बच्चें बोले कि हमने तो तुझे पहले ही कहा था कि वो सच्ची है। सबने उसे उठाया और उससे कहा कि चल अब चलते है। कहीं वो चुड़ैल हमें देख न ले।
सब बच्चें अपने-अपने घर लौट जाते है और पिंटू और सोनू भी अपने घर लौट आते है।
सब कुछ सहीं था। दोनों बच्चों ने खाना खाया और दोनों फिर सोने को चले गये।
पर इधर पिंटू की हालत ख़राब हो गई थी। उसे नींद ही नहीं आ रही थी। थोड़ी देर बाद उसे किसी की आवाज सुनाई दी। वो जो कोई भी थी उसे बाहर बुला रही थी।
पिंटू को बहुत डर लग रहा था पर पता नहीं क्यों वो उस आवाज की तरफ खींचा चला जा रहा था। वो घर से बाहर निकला और उसने देखा कि सामने एक काले कपड़े पहने एक औरत उसकी और अपनी पीठ किये खड़ी थी। वो औरत मन में कुछ गुनगुना रही थी।
आसपास का माहौल भी काफी खौफनाक था। चारों तरफ कोहरा छा रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे कि पूरा गाँव कोहरे में डूब गया था। ठण्ड बिलकुल ऐसी थी कि जैसे नंगे जिस्म पर कोई सुई की नोक चुबा रहा हो। आसपास के माहौल में ऐसी आवाजें आ रही थी कि जैसे कई सारे डरावने जानवर आसपास हो, पर कोई दिख नहीं रहा हो। इतने भीषण और खून को जमा देने वाले वातावरण में अच्छे-अच्छे सूरमाओं की हालत ख़राब हो जाये तो ये तो फिर भी, एक छोटा बच्चा था।
वो काले कपडे वाली औरत धीरे-धीरे जाने लगी और उसके पीछे-पीछे पिंटू भी जा रहा था। वो अपने वश में नहीं था और उस चुड़ैल के साथ-साथ बस गॉँव से होकर उस चुड़ैल के बरगद वाले पेड़ तक जाये जा रहा था
थोड़ी देर बाद, वो उस बरगद के पेड़ के पास खड़ा था। उसे होश आया और उसने देखा कि वो अपने घर में न होकर एक बड़े से बरगद के पेड़ के पास खड़ा था।
वो डर गया और चिल्लाने लगा। “मैं यहाँ कैसे आ गया?”
“मम्मी….. पापा……..आप कहाँ हो? मुझे यहाँ डर लग रहा है।”
हाहाहा……… कोई फायदा नहीं। (आसपास किसी के जोर से चिल्लाने और हंसने की आवाजें आने लगी।)
पिंटू की हालत काफी ख़राब हो चुकी थी। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। वो डर के मारे इधर-उधर देख रहा था। तभी उसने देखा कि उस बरगद के पेड़ पर एक काले रंग की शाल ओढ़ें एक बुढ़ी औरत खड़ी थी।
वो औरत दिखने में काफी भयानक थी और उसके हाथ में कुल्हाड़ी भी थी। जिसे वो अपने एक हाथ में लेकर उसकी ओर देख रही थी और हँस रही थी।
वो बोली “आज तो मैं पेट भर के खाऊँगी, गाँव में बहुत दिनों से कोई मेरा शिकार नहीं बना है।” हाहाहा हाहाहा…..
और हँसकर वो एक झटके में उसके सामने आकर खड़ी हो गई।
पिंटू ने उसकी भयानक शक्ल देखी और वो वहाँ से भाग ने लगा कि तभी उस चुड़ैल ने उसे पकड़ लिया और उसके चेहरे पर अपने बड़े-बड़े नाखून फेरने लगी। जिससे पिंटू के गाल पर एक नाखून से हल्का-सा कटने का निशान लग गया।
फिर धीरे-धीरे वो औरत अपनी कुल्हाड़ी को उसकी ओर बढ़ाने लगी और कुल्हाड़ी का एक जोर का वार उसपे दे मारा……… तभी पिंटू की आँख खुली। वो सपना देख रहा था।
थोड़ी देर तक तो उसे यकीन ही नहीं हुआ कि उसके साथ यह सब क्या हो रहा था। पर उसने सपना समझ कर सब भुला दिया। वो फ्रेश होने के लिए गया कि तभी चेहरा धोते वक्त उसे शीशे में अपने गाल पर एक नाखून के कट का निशान दिखा। वो समझ गया कि उसके सपने में कोई हकीकत जरूर थी। फिर उसी दिन वो और उसकी माँ अपने शहर लौट गये थे।
पर पिंटू के साथ जो कुछ हुआ वो एक सपना था या सच, ये पिंटू हमेशा याद रखने वाला था। वो बरगद का पेड़ आज भी वहीं है और वह चुड़ैल आज भी अपने शिकार का इंतज़ार कर रही है।
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