पैसे का लोभ हर किसी को होता है। पर अत्यधिक लोभ आपको मौत के दरवाजे तक ले जा सकती है जिसकी कल्पना आपने कभी नही की होगी।।
रामदास उस बंगले से अच्छी तरह वाकिफ नही थे और उन्हें यह बंगला सस्ते मूल्य पर मिल चुका था।
इतना बड़ा बंगला वो भी इतनी कम कीमत में इन्हें मिल चुका था जिसके कारण इनकी खुशी का ठिकाना नही था।
यह बात तो बिल्कुल सच थी कि बंगला बहुत ही बड़ा था इस बंगले के चारो ओर बड़े बड़े वृक्ष थे।
मानो की पूरा बंगला जंगल मे समाया हुआ था।
बंगले की दीवारों पर से प्लास्टर यहां वहां से उखड़ गए थे, बंगले के छत के ऊपर तक लताएं पहुंची हुई थी जिससे बंगला और भी डरावना लगता था।
रामदास की पत्नी जिनका नाम राधिका था उन्हें भी यह बंगला बेहद पसंद आया, वे जानते थे कि बस इस बंगले को साफ करने की ज़रूरत है उसके बाद तो यह अच्छा लगेगा देखने मे,,,,,,
क्यों कि इतना बड़ा बंगला हमे मिल चुका है मेरी तकदीर अच्छी थी कि ये बंगला हमे मिला और इस बात से वे दोनों बेहद खुश थे।।।
पर वे लोग इस बंगले की सच्चाई से बिल्कुल भी बाकिफ नही थे कि ये बंगला कितना खतरनाक है।।
एक हफ्ते बाद उन्होंने सारी तैयारी कर ली, बंगले को अच्छी तरह से साफ सुथरा कर दिया और एक रहने लायक बना दिया।
एक बार की बात है कि जब रामदास काम पर से होकर अपने घर को आ रहे थे तो राश्ते में उन्हें एक बुढ़िया मिली और उनसे कहने लगी कि लगता है तुम उसी डाक बंगले में रहते हो जितनी जल्दी हो सके चले जाओ, यह कह वह वहां से चली गयी।
रामदास को बुढ़िया की बातों पर यकीन नही हुआ उन्हें लगा शायद ये कोई पागल है जो बहकी बहकी बातें कर रही थी।
उस दिन जब वे अपने घर को लौटे तो रात को बिस्तर पर उन्हें नींद नही आ रही थी वे इधर से उधर करबटें बदल रहे थे, जब उन्हें नींद बिल्कुल भी नही आ रही थी तब वे बिस्तर से उठ कर छत पर चले गए , रात काफी हो चुकी थी और चारों ओर अंधेरा छाया हुआ था।
लेकिन रामदास को नींद नही आ रही थी इसी कारणवस वे छत पर खुली हवा में चले गए।।।
कुछ समय पश्च्यात अचानक उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि कोई काली सी परछाई सीढ़ियों से नीचे उतर गई हो, रामदास घबरा गए और वे अपनी आंखों को मलने लगे, और उसके बाद उन्होंने देखा तो वहां कोई नही था।
उन्हें लगा शायद ये मेरी थकान की बजह से हो रहा है अब जाकर मुझे सोना चाहिए , और वे सोने के लिए नीचे अपने कमरे में चले गए।।
नींद तो उन्हें आ गयी थी पर तभी फिर से उनकी आंख खुल गयी और वे उठ गए , रात काफी हो चुकी थी चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा था।
खिड़की की तरफ जल रही दीपक थोड़ी सी रोशनी दे रही थी लेकिन फिर भी अंधेरा था।
अचानक उन्हें अपने छत पर किसी की चलने की आहट सुनाई दी, रामदास को लगा कि आखिर कौन हो सकता है और वो देखने के लिए ऊपर चले गए, लेकिन ऊपर कोई भी नही था तभी रामदास ने अपनी टॉर्च जलाई और इधर उधर देखने लगे ,,,,,
तभी रामदास को अपने छत के एक कोने में काठ का एक बक्सा दिख जिसके ऊपर ताला लगा हुआ था।।
उन्हें लगा आखिर यह बक्सा किसका हो सकता है मुझे इसे खोल कर देखना चाहिये, उस बक्से की चाबी नही थी इसीलिए रामदास ने उस ताले को तोड़ दिया, ताले की टूटने की आवाज़ सुनकर उनकी पत्नी राधिका भी जाग गयी और ऊपर छत पर आ गयी और रामदास से पूछने लगी कि आप इतनी रात गए ऊपर क्या कर रहे हैं और यह बक्सा किसका है।।
रामदास ने कहा कि शांत हो जाओ और ये देखो बक्से में क्या है।
बक्सा खुलते ही दोनो की आंखें फटी की फटी रह गयी उस बक्से में ढेर सारी सोने चांदी के गहने और जेबरात थे।
कुछ समय के लिए तो इनके होश उड़ गए उन्हें अपनी आंखों पर यकीन नही हो रहा था कि हमारे हाथ इतनी बड़ी चीज लगी है।।
उन्होंने ने फैसला किया कि हमलोग बिना किसी को बताए आज रात ही यहां से चल देंगे।।।
और वे लोग रात को ही जंगल के राश्ते उस बंगले को छोड़ कर निकल गए वे जानते थे जो भी समान उनका उस बंगले में है उससे ज्यादा अब इनके पास था।।
रात के अंधेरे और सन्नाटो में वे दोनों निकल गए थे सुबह होने ही वाली थी और वे लोग उस बंगले से काफी दूर निकल चुके थे।
रामदास ने सोचा कि अगर कोई मेरे हाथ मे ये बक्सा देखा तो शायद उसे शक हो सकता है ऐसा करता हूं इस बक्से को कहीं छिपा देता हूं और उन्होंने उस बक्से को एक गढा करके उसमें डाल दिया और उसे मिट्टी से ढक दी
और थोड़ी हीं दूर पर एक घर था जिसमे जाकर ये दोनों रहने के लिए शरण मांगने लगे , वो घर भी एक बूढ़े व्यक्ति का था उसने इन दोनों को रहने के लिए एक कमरा दे दिया , रामदास ने सोचा कि बस कुछ दिन की बात है उसके बाद हमलोग ये पूरी जगह छोड़ कर यहाँ से कहीं दूर चले जायेंगे।।
उस दिन पूरा दिन वे दोनों घर से बाहर नही निकले और रात को जब सोने के लिए बिस्तर पर गए तो इस बार राधिका को नींद नही आ रही थी।
उस घर मे दो तीन दीपक जल रहे थे जिसके कारण कमरे थोड़ी रोशनी ज़रूर थी।
रामदास भी राधिका के सिरहाने ही सोये हुए थे धीरे धीरे अब राधिका की भी आंख लग चुकी थी।
अचानक आधी रात को जब राधिका की आंखें खुली तो उसके होश उड़ गए राधिका ने देखा कि उसके सामने एक लंबी सी औऱत खड़ी है जो ढेर सारे गहने और जेबरात पहनी हुई है और उसका एक पैर कटा हुआ है और वो राधिका से कह रही थी वो गहने मेरे हैं।।।
यह सुन राधिका जोर से चिलाने लगी तभी रामदास की भी नींद खुल गयी उन्होंने राधिका से पूछा कि क्या हुआ ,,,,,
तो राधिका सहमी सहमी सारी बात रामदास को बतायी , रामदास को राधिका की बातों पर यकीन नही हुआ उन्हें लगा कि वो कोई बुरा स्वप्न देखी होगी और डर गई।।
रामदास ने राधिका को कहा कि चलो अब सो जाओ कल बात करेंगे।।।
जब सुबह हुई तो रामदास ने देखा कि राधिका मर चुकी है यह देख रामदास पीछे की ओर गिर जाते हैं अब उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि रात को जो राधिका कह रही थी वो बिल्कुल सच बात थी।।
बाद में रामदास ने उस बक्से को देखने तक नही गए और उन्होंने अपनी सारी बात लोगों को बतायी लेकिन ये नही बताया कि वो बक्सा उन्होंने कहाँ छिपाया था क्यों कि वो जानते थे कि ये बक्सा किसी के भी मौत का कारण बन सकती है।।
ये घटना 1997 के नालंदा जिले की है अभी वो बंगला आधा से ज्यादा टूट गया है जो और भी खतरनाक लगता है देखने मे,,,,,,,
इस तरह की घटना सुनने में बहुत अजीब लगती है कि क्या ये सम्भव है लेकिन जब मैंने इस घटना को अच्छी तरह से सुना तब मुझे भी यकीन हो गया।
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