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एक अजीब घटना || Horror Story New || 2021 ||


 


ये सच्ची घटना है झारखंड के एक परिवार की….

झारखंड में एक मेन्टल हॉस्पिटल है  जिसमे कई सारे मानसिक विछिप्त लोग तथा मंद बुद्धि के लोग रहते है जिसे हमलोग आम बोलचाल की भाषा मे  पागलखाना कहते हैं।

जब मुझे यह पता चला कि वहां एक ऐसा भी व्यक्ति रहता है जिसके साथ एक ख़ौफ़नाक घटना घटी और उसके बाद वो व्यक्ति पागल सा हो गयातो मैं तुरंत ही झारखंड की ओर रवाना हो गया और मैं वहां उस व्यक्ति से मिला उसका नाम धीरज था।

मैं उससे मिला तो सही लेकिन वो बात करने की स्थिति में नही था क्यों कि उसका व्यबहार कुछ अजीब सा था और वह अपना संतुलन खो चुका था। मैं समझ चुका था कि घटनाओं के बारे में इससे तो कुछ भी मालूम नही पड़ेगा इसीलिए मैंने वही अस्पताल से धीरज के परिवार वालों का पता लिया और उनसे मिलने के लिए चला गया।


धीरज का घर अस्पताल से 20 कम की दूरी पर था जब मैं धीरज के घर पहुँचा तो उसके परिवार वालो ने कुछ भी बताने से मना कर दिया , लेकिन जब मैंने उन्हें  अपना परिचय दियातब जाकर उन्हें हम पर यकीन हुआ और उन्होंने कहा कि आपन घर के आइये उसके बाद मैं आपको सारी बात बताता हूं।

धीरज के पिता का नाम गोबिंद था जिससे मैं बातें कर रहा था धीरज घर का इकलौता बेटा था जिसकी उम्र 29 साल थी। धीरज की माता का नाम रेशमी था।


धीरज उनका इकलौता संतान था इसी बजह से उन्होंने सारी बातें बहुत हीं भाबुक हो कर बता रहे थे


गोबिंद जी ने बताया कियह बात है तकरीबन 2 साल पहले की एक रात जब धीरज घर को आया तो उसके कपड़े फटे हुये थे कपड़े पर मिट्टी लगे हुए थे और चेहरे का रंग उड़ा हुआ था और वो काफी सहमा हुआ था।

मैं भी घबरा गया मुझे लगा आखिर क्या हुआ इसेमैंने जब धीरज से पूछा तो उसने कहा कि कुछ नही मैं बिल्कुल ठीक हूँ बस युहीं रास्ते मे गिर गया था  और मुझे कहीं चोट भी नही लगी है आप खुद देख सकते हैं सिर्फ मेरे कपड़े फटे हुए हैं लेकिन मैं ठीक हूं और यह कह वह अपने कमरे की ओर चला गया और रात को कुछ खाया पिया भी नही और ऐसे ही जाकर सो गया।।।

मैं भी खाने के लिए उसे जगाने नही गया मैंने सोचा वो थक कर सोया  हुआ है इसीलिए इसे जगाना ठीक नही और यह सोच मैं भी अपने कमरे में चला गया।।

अचानक मेरी नींद खुली तो रात के 1 बजे रहे थे मैंने सोचा कि अगर जग गया हूँ तो धीरज को भी देख आता हूं और मैं धीरज के कमरे की ओर चला गया।


मैंने देखा कि धीरज की कमरे का दरवाजा खुला हुआ है तो मै छिप कर कमरे के अंदर देखने लगा , कमरे के अंदर जब मैंने झांका तो पाया कि धीरज सोया हुआ नही है और वो सिर्फ अपने बिस्तर पर बैठा हुआ है।

मैंने देखा कि धीरज की हाथों में पानी की एक ग्लास थी और वो पानी अपने पैरों पर गिरा रहा था।

मुझे थोड़ा अजीब लगालेकिन उसके बाद जो मैंने देखी मेरे होश उड़ गए मुझे अपनी आंखों पर यकीन नही आया कि मै ये क्या देख रहा हूँ।

मैंने देखा कि धीरज अचानक अपना सर दीवारों पर पटकने लगा और ज़ोर ज़ोर से चिलाने लगा मैं तुरन्त हि कमरे में अंदर गया और धीरज को संभाला लेकिन वो हम पर भी प्रहार करने लगा और गंदी गंदी गालियां भी देने लगा……

तब तक धीरज की माँ  रेशमी भी आवाज़ सुनकर कमरे में आ गयीमैंने सारी बातें रेशमी को बतायी।


रेश्मी जैसे ही धीरज को रोकने के लिए करीब गयी तो धीरज अपनी माँ के साथ भी उसी तरह से पेश आने लगा।।।।

मैं तुरन्त ही बाहर जाकर कुछ लोगों को जगायाऔर रात को ही धीरज को लेकर अस्पताल पहुंच गया।

वहां अस्पताल वालों ने बताया कि इसकी मानसिक संतुलन बिगड़ चुकी हैफिलहाल मैं कुछ दवा लिख देता हूं लेकिन आपको इन्हें किसी मेन्टल हॉस्पिटल में भर्ती करवाना होगा।।

धीरज को उस मेन्टल हॉस्पिटल में भर्ती कराये हुए 2 साल गुजर गए लेकिन अभी तक उसमे कोई सुधार नही हुआ।।

एक पल में लिए तो मैंने सोचा कि उसे घर ले आऊं लेकिन फिर यह सोच कर रुक जाता हूँ कि कहीं वो घर आकर कुछ उल्टा सीधा कर अपनी जान ना दे बैठे कम से कम वहां जीवित तो है। हो न हो ठीक होकर वो ज़रूर सारी बातें बताएगाक्यों कि आज तक कभी धीरज ने ऐसा नही किया था आखिर क्या हुआ था उस रात धीरज के साथ ये रहस्य तो धीरज के ठीक होने के बाद ही पता चल पाएगा।


सारी बात जानकर मैं अपने घर को आ गया लेकिन यह बात मेरे दिमाग मे अभी भी घूमती है की आखिर धीरज ने ऐसा क्या देख लिया था जिससे वो पागल हो गया , उस रात उसके कपड़े फटे हुए कैसे थे और शरीर पे कोई चोट का निशान भी नही

ये सारी बातें एक रहस्य की तरह मेरे मस्तिष्क में घूम रही है

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