यह एक सच्ची घटना है मध्य प्रदेश के सिवनी की। सिवनी नगर के दक्षिण पूर्व दिशा में कगी नाका से थोड़ी ही दूर श्मशान क्षेत्र है। वहां काली जी का एक मंदिर भी है।
नाका के पास ही सीमेंट के खंभे बनाने वाली एक फैक्ट्री भी है और आसपास कुछ लोगों के कच्चे पक्के घर भी हैं सिवनी के वयोवृद्ध पंडित हजारी लाल जाने–माने कर्म कांडी ब्राह्मण है। शादी ब्याह पूजा–पाठ आदि अवसरों पर लोग उन्हें आदर से आमंत्रित करते रहते हैं
उस दिन जून महीने की गर्मी की एक संध्या थी। पंडित जी कंगी नाका के समीप अवस्थित एक घर में ब्याह करा कर लौट रहे थे। रात गहरा रही थी। पंडित जी मन में सोच रहे थे कि आजकल के गृहस्थ भी कैसे हैं, अनुरोध करने पर भी एक आदमी मुझे पहुंचाने साथ नहीं आया।
अचानक उनका नाम लेकर किसी ने पुकारा। उनके बढ़ते कदम रुक गए। उन्होंने देखा—- श्वेत परिधानधारी एक व्यक्ति उनके सामने खड़ा है। पंडित जी ने पूछा, क्या बात है?
उसने कहा, महाराज, मेरे यहां शादी है। कोई पंडित मिल नहीं रहा है। आप कृपया मेरे साथ चलिए।,,
पंडित जी कुछ सोच विचार में पड़ गए। उसने अति आग्रह से दोबारा कहा, पंडित जी,, आप दुविधा में मत रहे। रात अधिक होने पर मैं आपको घर तक छोड़ दूंगा।,,
पंडित जी ने कहा, चलो।,
और इसके बाद किस प्रकार व उसके साथ शमशान पहुंच गए, पता ही नहीं चला। पर कुछ ही क्षणों में उनके सामने जो दृश्य उपस्थित हुआ, उससे वे अंदर तक काँप कर रह गए। उन्होंने देखा 20 से 30 व्यक्ति गाजे–बाजे के साथ नग्न अवस्था में नग्न दूल्हा दुल्हन को लिए चले जा रहे हैं। और फिर वे उनके सामने आकर वृत बनाकर नाच रहे हैं।,,
पंडित जी भयभीत तो हुए पर साहस नहीं छोड़ा। कौन है काली जी का स्मरण हुआ और वह मन ही मन जाप करने लगे।। अचानक उन्होंने देखा कि छन भर में ही वह लोग वहां से विलुप्त हो गए। उस रात बड़ी मुश्किल से पंडित जी घर लौटे।। इस तरह की घटना पंडित जी ने अपने जीवन में पहली बार देखी थी।
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