इस किले का नाम है ब्रिज राज भवन। यह किला किला भारत की सबसे बड़ी शिक्षा नगरी कोटा में स्तिथ है।
आइये इस किले का इतिहास जानते है ,इस किले का निर्माण सन 1830 में हुआ था। इसका निर्माण ब्रिटिश अधिकारियो के रहने के लिए किया गया था। जब भारत में अंग्रेजो का शासन था ,तब इस भवन को एक अंग्रेज अधिकारी तथा उसके समस्त परिवार के रहने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। उस अंग्रेज अधिकारी एक नाम “चार्ल्स-बुर्टन ” था।
जब सन 1857 में अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ तो कुछ भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने इस भवन पर हमला बोल दिया। वे महल में घुस आये और उन्होंने अंग्रेज अधिकारी के सभी लोगो को खदेड़ दिया। अंत में ,उन्होंने उस अंग्रेज अधिकारी तथा उसके बच्चो को मौत के घाट उतार दिया।
उसकी मृत्यु के बाद, कोटा के राजा ने उनके शवों को “सेंट्रल हॉल ऑफ़ पैलेस ” में दफना दिया।
थोड़े समय के बाद स्थानीय लोगो ने उस भवन के आसपास अजीब तरह की आवाजे तथा आकृतियों के देखे जाने की बात कही।
इस तरह से लोगो ने यह निष्कर्ष निकाला कि मरे हुए ब्रिटिश अधिकारी का बहुत भवन में वापस आ गया है।
सन 1980 में ,कोटा की पूर्व महारानी ने एक ब्रिटिश पत्रकार को मेजर “चार्ल्स बुर्टन ” के भूत को देखे जाने की बात कही थी। उन्होंने बताया कि वो अपने स्टडी रूम में बैठी थी तो उन्होंने अपने सामने एक बूढ़े आदमी को देखा था जिसके बाल सफ़ेद थे तथा जिसके हाथ में एक लकड़ी का डंडा था। बेशक वो आदमी मेजर ही थे।
मेजर का भूत पुरे महल में घूमता रहता है पर वो किसी को नुकसान नहीं पहुचाता। सिवाय जब कोई पहरेदार अपने काम में लापरवाही या फिर काम के वक्त सोता हो, तो मेजर का भूत उन्हें थप्पड़ मार देता है।
कुछ पहरेदारो का कहना है कि कभी-कभी किसी के उन्हें डाटने की आवाज आती है, पर आसपास देखने पर कोई नहीं होता है।
कुछ लोगो कहना है कि जब वे भवन के कुछ विशेष भागो जैसे सेंट्रल हॉल में जाते है तो उन्हें अपने आसपास किसी के होने का अहसास होता है।
रात में लोगो को अपने-अपने कमरों में रहने की सलाह दी जाती है और उन्हें गार्डन तथा छत से दूर रहने की चेतावनी दी जाती है,ताकि मेजर का भूत उन्हें कोई नुकसान न पंहुचा सके।
दोस्तों आप में से कौन-कौन ब्रिज भवन में जा चूका है या जाने वाला है, कमेंट कर बताये और कौन-कौन कोटा में रहता है, यह भी बताये
दोस्तों, आज जो किस्सा मैं आपको बताने जा रहा हूँ, वह कोई कहानी नहीं है बल्कि यह हमारे यहा की एक Urban Story है।
मैंने यह किस्सा अपने यहाँ के लोगो से सुना है। मध्यप्रदेश के एक शहर भानपूरा में छतरी नामक एक स्थान है। यह किस्सा उसी जगह का है।
ऐसा कहा जाता है कि बहुत समय पहले एक बारात यहाँ रुकी थी। यही पर एक गुफा है जहाँ अब तो जाना मना है और इसे बंद भी कर दिया गया है।
पर उस समय यह खुली होगी। इस गुफा को राजा ने बनवाया था ताकि जब भी युद्ध की घड़ी आए तो यहाँ से बच निकला जा सके।
पूरी बारात इसी से हो के निकली। बारात अंदर तो गयी पर कभी भी बाहर ही नहीं निकली।
वो लोग कहाँ गये? कोई नहीं जानता।
शायद वो गुफा उन्हें जिंदा ही निगल गयी। यह तो एक राज़ ही है जो उन्हीं लोगो के साथ दफन हो गया। ऐसा ही कुछ कहना है हमारे यहाँ के लोगो का। कुछ लोग यह भी कहते है कि गुफा कमजोर होने के कारन ढह गई होगी और सभी बाराती उसमें धँस कर मर गये होंगे। जो बचे होंगे वो भी भूख-प्यास के कारन कुछ ही समय में मर गये होंगे।
भगवान ही जानता है कि उन लोगो के साथ क्या हुआ होगा?
दोस्तों, यह तो हमारे यहाँ के लोगो का मानना है। आप मानो या ना मानो ये मैं आप पर छोड़ता हूँ।
कमेंट कर बताए इस बारे में।
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