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Kulbhata Real Story in Hindi || 2021 ||


 



कुलभाटाकुलधरा या कुलधर का दूसरा नाम है। यह भारतीय राज्य राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित है। यह एक शापित और रहस्यमई गांव है। जिसे भूतप्रेतों का गांव भी कहा जाता है।

इस गांव का निर्माण 13वीं सदी में पालीवाल ब्राह्मणों ने किया था। लेकिन इस गांव में पानी की घटती आपूर्ति के कारण यह गांव पूरा नष्ट हो गया। लेकिन कुछ किंवदंतियों के अनुसार इस गांव का विनाश जैसलमेर के राज्यमंत्री सलीम सिंह के कारण हुआ था। जैसलमेर के एक मंत्री हुआ करते थे सलीम सिंह गांव के प्रति बहुत क्रूर थे और वह काफी सख्ती से पेश आते थे। उनके इस व्यवहार से परेशान ग्रामवासी रातोंरात गांव को छोड़कर चले गए और जातेजाते श्राप देकर चले गए इस कारण यह गांव शापित गांव भी कहलाता है।


कुलधरा गांव माता रानी के मंदिर को केंद्र में रखकर उसके चारों ओर फैला हुआ था। इसमें तीन मार्ग थे जो पतली गलियों द्वारा मिलते थे गांव की पूर्वी भाग में एक सुखी नदी भी है।

ब्राह्मण के क्रोध का प्रतीक है कुलधरा गांव जहां आज भी लोग जाने से डरते हैं। जैसलमेर शहर से 18 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव आज से 500 साल पहले 600 घरों और पचासी गांवों का पालीवाल ब्राह्मणों का साम्राज्य एक ऐसा राज्य था।


रेगिस्तान के बंजर घोरो में पानी नहीं मिलता था। वहां ब्राह्मणों ने कैसा चमत्कार कर दिया जो इंसानी दिमाग से बहुत परे थी। उन्होंने जमीन पर उपलब्ध पानी का प्रयोग नहीं किया ,नहीं बारिश के पानी को संग्रहित कियाबल्कि रेगिस्तान के मिट्टी में मौजूद पानी के कण को खोजा और अपना गांव जिप्सम की सतह के ऊपर बनाया।

उन्होंने उस समय जिप्सम की जमीन खोजी ताकि बारिश का जो पानी है उसे जमीन ना सोखे। और आवाज जानने के  लिए उन्होंने ऐसा बनाया था कि अगर कोई दुश्मन आए तो उसकी आवाज उससे 4 गुना पहले गांव के भीतर आ जाए।

हर घर के बीच में आवाज का एक ऐसा मेल था जैसे आज के समय में टेलीफोन होते हैं। पर यह बात जैसलमेर के दीवान और राजा को हजम नहीं हुई कि ब्राह्मण इतने आधुनिक तरीके से खेती करके अपना जीवन यापन कर सकते हैं।


उन्होंने खेती पर कर लगा दियापर ब्राह्मणों ने कर देने से मना कर दियाउसके बाद दीवान सलीम सिंह को गांव के मुखिया की बेटी पसंद आ गई तो उसने फरमान जारी किया की बेटी मुझे दे दो वरना सजा भुगतने के लिए तैयार हो जाओ


ब्राह्मणों को अपने आत्मसम्मान से समझौता बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं था इसीलिए वाह रातोंरात पचासी गांव की एक महापंचायत बैठी और निर्णय हुआ कि रातोंरात कुलधारा खाली करके वह चले जाएंगे।

50 गांव के ब्राह्मण रातोंरात कहां और कैसे चले गए किसी को आज तक पता नहीं चला। और जातेजाते ब्राह्मण ने श्राप दे गए कि आज के बाद या गांव हमेशा वीरान रहेगा यहां कोई नहीं बस पाएगा


आज भी जैसलमेर में जो तापमान रहता है सर्दी हो या गर्मी में पर यहां आते ही 4 डिग्री की बढ़ोतरी हो जाती है। बाद में यहां कुछ वैज्ञानिक देखने को आए लेकिन उनकी मौत हुई वह भी बहुत रहस्यमई ढंग सेबाद में फिर जब वैज्ञानिक की टीम पहुंची तो उनके मशीनों में आवाज और तरंगों की रिकॉर्डिंग हुई, जिससे यह पता चलता है कि यहां कोई भूतहा शक्ति जरूर है।

वे शक्तियां कुछ संदेश देती हैं। कुलधरा गांव की सीमा में आते ही मोबाइल का नेटवर्क चला जाता है और रेडियो का सिंगल भी चला जाता है और जैसे ही गांव के बाहर जाते हैं वह सब पहले की तरह सामान्य हो जाते हैं। यहां तीन श्मशान घाट हैं। गांव में शाम होते ही यह खाली हो जाता है,कोई भी इंसान वहां जाने की हिम्मत नहीं कर पाता।

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