यह बात तब की है, जब मैं अपने गाँव में रहता था। अब मैं जॉब करता हूँ, इसलिये अब मैं शहर में रहता हूँ।
तो बात कुछ ऐसी है कि मैं अपने गांव में जिस स्कूल में पढ़ता था। उसके पास ही एक बावड़ी है और जो लोग बावड़ी के बारे में नहीं जानते उन्हें बता दूँ कि यह पानी का एक स्रोत है।
यह बावड़ी बहुत पुरानी है और इसमें का जो पानी है, उसका इस्तेमाल कोई नहीं करता। इस बावड़ी के आसपास कई सारी झाड़ियाँ आदि उग चुकी है। इस बावड़ी के चारों ओर सीढ़ियाँ है और उन पर काई जमी हुई है।
इस बावड़ी के आसपास कोई नहीं जाता और जाना तो दूर कोई इस बावड़ी वाले रास्ते का इस्तेमाल भी नहीं करता है। ऐसा भी नहीं है कि कोई बिलकुल भी इस्तेमाल नहीं करता। कुछ लोग जाते है इस रास्ते से, पर केवल दिन में और वो भी केवल दो या तीन लोगों के समूह में।
कहते है कि इस बावड़ी के अंदर एक ऐसा भ्रमजाल है जो लोगों को अपने वश में कर लेता है और उन्हें इस बावड़ी के पानी के अंदर डूबा देता है और इतना ही नहीं, मरने के बाद उस व्यक्ति के लाश तक नहीं मिलती है।
कुछ दूसरे लोगों का मानना है कि इस बावड़ी में एक खजाना छिपा हुआ है और जो कोई भी उसे लेने जाता है, वह रहस्यमयी तरीकों से गायब हो जाता है। ऐसा हमारे यहाँ के लोग कहते है।
पर मेरे साथ एक ऐसा खौफनाक वाकिया पेश आया कि इन दोनों बातों का खंडन करता है।
एक दिन, मैं शाम को घर के लिए सामान खरीदकर वापस घर लौट रहा था तो मैंने सोचा कि उस बावड़ी वाले रास्ते से निकलता हूँ, क्योंकि वो एक छोटा रास्ता था।
तो मैं उस रास्ते से जाने लगा। उस समय शाम हो चुकी थी और केवल थोड़ा-थोड़ा उजाला था। मैं अब उस बावड़ी के किनारे से निकल रहा था कि मैंने देखा कि एक आदमी से बावड़ी के एक सीढ़ी पर खड़ा बावड़ी के पानी की ओर देख रहा था।
मैं भी चलते-चलते उसे ही देख रहा था कि तभी वो मेरी ओर देखने लगा और हँसने लगा। मैं यह देखकर चौक गया कि यह आदमी उस जगह क्या कर रहा है?
कुछ दो कदम चलने के बाद मैंने देखा कि वो आदमी अपने घुटनों के बल बैठकर बावड़ी के पानी में किसी को देख रहा था। तभी बावड़ी के अंदर कुछ हलचल हुई और बावड़ी से एक भयानक सा दिखने वाला आदमी जिसके शरीर पर माँस तक नहीं था, केवल हड्डियाँ थी, उस आदमी को खींच कर पानी के अंदर ले गया।
यह देखकर मैं काफी डर गया और एक सेकंड के लिए मैंने उस आदमी को बचाने के बारे में सोचा। पर दूसरे ही सेकंड में उस जगह से तेजी से भाग गया।
मुझे उस आदमी के डूबने से ज़्यादा इस बात से डर लग रहा था कि वो खूँखार आदमी कौन था जो उस बावड़ी के पानी से निकलकर उस आदमी को अंदर खींच ले गया था।
जब मैं घर पहुँचा तो मैंने उन सभी को उस घटना के बारे में बताया। उन्होंने सबसे पहले तो मुझे ख़ूब डाँटा और कहा कि किसने तुझे उस रास्ते से आने को कहा था?
अरे वो एक प्रेत है और वो लोगों को भ्रम में डालता है और बावड़ी के अंदर आने के बाद उनको अंदर पानी में ले जाता है और फिर उस आदमी का कभी पता नहीं चलता। आज तो तू उस रास्ते से आ गया पर आज के बाद भूलकर भी उस रास्ते पर मत चले जाना।
उस समय मुझे समझ आया कि वो सब उस प्रेत का धोखा था। अगर मैं उस आदमी को बचाने चला जाता तो फिर वो मुझे अंदर खींच लेता। शायद वो आदमी भी लोगों को शिकार बनाने के लिये उस प्रेत का रचा जाल था।
सच में, मैं तो वहाँ से भाग गया था पर अगर मेरी जगह कोई और होता और वो उस आदमी को बचाने जाता तो सच में वो आदमी तो मारा जाता।
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