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Real Horror Stories In Hindi भूत से सामना और दोस्त या भूत 2021


मैं हनुमानजी का बहुत बड़ा भक्त हूँ और मैं रोज़ उनकी पूजा करता हूँ और उन्ही की वजह से मेरी जान बची।

दोस्तों मैं, गाँव में रहता हूँ और यह तब कि बात है जब मैं और मेरे कुछ दोस्त रात को घूमने के लिए खेतो की तरफ जाया करते थे। ऐसे ही एक दिन की बात है जब हम खेतो में घूम रहे थे तो मेरा एक दोस्त है मगन जो हम से कहने लगा की यार! उस बड़े से पेड़ के पीछे कोई खड़ा है जो हमें ही देखे जा रहा है। हम सबने उसे देखा पर मैंने उससे कहा कि कोई गाँव वाला होगा जो वहाँ अपना काम कर रहा होगा।

पर हमने थोड़ी देर बाद देखा। तब भी वो हमें वैसे ही देख रहा था जैसे कि पहले।

दोस्तों उस समय अंधेरा बहुत था, इसलिए उसे देख पाना मुश्किल था। हमने सोचा कि वहा जाके देखा जाये कि वो आदमी कौन है? पर मेरे दोस्तों ने मना कर दिया, क्यूंकि उन्हें वो आदमी बड़ा ही अजीब लग रहा था और सच बताऊं तो मुझे भी। हम सबने घर वापस जाने की सोची और हम घर की तरफ चलने लगे। 

मैंने पीछे पलट कर देखा वो आदमी वहाँ नहीं था। मेरे सब दोस्तों ने भी पाया कि वो वहाँ से गायब हो गया है। हम घरों की तरफ जाने लगे ही थे कि हमारी तरफ से तेजी से एक आदमी दौड़ के निकला, वो इतना तेज था कि हमें कुछ समझ में ही नहीं आया कि तभी मेरा दोस्त महेश ज़ोर से चिल्लाया।

हमने उससे पूछा क्या हुआ? वो डरते हुए बोला सामने देख वो क्या है? हम सब ने देखा कि एक डरावना-सा आदमी जिसकी जीभ उसके मुँह से बाहर लटकी हुयी थी और जिसके बड़े बड़े दाँत, उसकी आँखे काली और गहरी अंदर धँसी हुई थी और उसके हाथ जो बहुत लंबे थे और नाखून किसी चाकू से भी लंबे और तीखे। उसको देख कर हम सभी के होंश उड़ गये। 

वो हमारी ही तरफ देख रहा था और वो हमारी तरफ धीरे-धीरे आने लगा। मेरा दोस्त महेश बोला दोस्तों अगर जिंदा रहना है तो जितना तेजी से हो सके उतना तेजी से भागो और पीछे मुड़ के मत देखना।

उसके कहने की ही देर थी कि हम हवा की तेजी से वहाँ से गाव की तरफ भागे। भागते हुए मैंने पीछे मुड़ के देखा। मेरी समझ में आया कि अब तो जान गयी। क्यूंकि वो हमारी तरफ बड़ी ही तेजी से आ रहा था। 

हम सब ज़ोर-ज़ोर से हनुमान चालीसा का पाठ करने लगे और गाँव के पास के हनुमानजी के मंदिर में चले गये। हमने मुड़ के देखा वो तो हमने देखा कि वो शैतान हमें ही देख रहा था और फिर वो अचानक से गायब हो गया। हम इतना डर गये थे कि उस मंदिर से हम हिले तक नहीं, थोड़ी देर बाद पंडित जी वहाँ आये। 

उन्होनें हमारे चेहरे देखे और वे बोले कि तुम इतना डरे हुए क्यूँ हो। तब हमने उन्हें सारी बात बता दी। पंडित जी बोले तुम लोग को भगवान ने बचा लिया वरना आज अनर्थ हो जाता, उसके बाद पंडित जी ने हमारे सिर पर तिलक लगाया और हमे भभूत दी और कहा अब घर जाओ वो तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उसके बाद हम अपने-अपने घर चले गए। उसके बाद से हमने रात में खेतो की तरफ जाना बंद कर दिया

जय हनुमानजी की

यह बात उस समय की है, जब मैं अपने गांव जा रहा था। मेरे गाँव पहाड़ों के बीच में बसा है, घनी आबादी से अलग-थलग। मेरे गाँव में एक कच्ची सड़क है, जिस पर केवल एक बस चलती है जो गाँव से बाहर तक ले जाती है और लाती है। मैं अपनी नानी के घर गया हुआ था और वही से ही लौट कर आ रहा था

रात का समय था। बस ने मुझे गाँव के बाहर उतारा था क्यूंकि सड़क गाँव से बाहर की ओर थी और मेरा घर गाँव के काफी अन्दर था। पर इससे मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता क्यूंकि पहले भी मैं बहुत-सी बार सफ़र कर चुका हूं। पर इस बार मैं काफ़ी देर रात गाँव में पहुंचा था। मैंने अपना सामान उतारा और उसे उठा कर अपने घर की तरफ बढ़ा। उस समय रात के लगभग साढ़े बारह बजे थे।

और जैसा की आप जानते हो, गाँव में लोग जल्दी ही सो जाया करते हैं तो वैसा ही था। पूरा गाँव सुनसान पड़ा था। ऐसा लग रहा था मानो जैसे गाँव नहीं कोई जंगल में आ गया हूँ। अब थोड़ा मुझे डर लगने लगा। मैं बस भगवान् से दुआ कर रहा था कि जल्दी से घर पहुँच जाऊँ, पर मेरा घर थोड़ा दूर था। लेकिन थोड़ी देर बाद मुझे मेरा दोस्त सोमधर मिला।

उसने मुझे दूर से इशारा किया। मैं यह सोच रहा था कि इतनी रात में ये यहाँ क्या कर रहा है? पर खेर छोड़ो मैं तो बड़ा ख़ुश था कि कम से कम मुझे कोई साथी तो मिल गया। अब मेरा डर कम हो गया है क्यूंकि इस सन्नाटे में चुप्पी तोड़ने के लिए कोई तो है मेरे साथ।

उसने मेरे पास आके मेरा बैग उठाया और मेरे आगे-आगे चलने लगा। चलते हुए मैंने एक बात पर गौर किया कि ये इतना चुप-चुप क्यों है। ये जब से मुझे मिला है तब से कुछ नहीं बोला। क्यूंकि मेरा दोस्त सोमधर तो बहुत ही बातूनी है और ये तो इतना शांत बड़ी ही अजीब बात है।

मेरा घर बस थोड़ी ही दूर था पर अब वो एक दूसरा रास्ता लेके खेतो की तरफ बढ़ने लगा। मैंने उसको कहा अरे भाई कहा जा रहे है हो, कब से देख रहा हूँ बड़े ही चुप हो और ये खेतो की तरफ कहा जा रहे हो

तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या? उसने मेरा हाथ पकड़ा और जबर्दस्ती मुझे खेतो की तरफ ले जाने लगा। उसका हाथ बहुत ठंडा था, मुझे समझते हुए देर न हुई कि यह मेरा दोस्त नहीं है। वो मुझे पास ही के एक कुँवे तक घसीटते हुवे ले जा रहा था। मैं ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा।

मेरी आवाज़ सुन कर गांव के बहुत से लोग जग गये और मेरी तरफ दौड कर आने लगे। जब वो मेरे पास आये। तब तक मैं बेहोश हो चुका था। सुबह जब मुझे होश आया तो मैं अपने घर पर था। मुझे उठा देख सब घर वाले मेरे पास आये और बोले तुम ठीक हो तुम्हें क्या हो गया था?

तुम रात को बरगद के पेड़ से लिपटे हुए बेहोश पड़े थे। तुम्हारे साथ क्या हुआ था? मैंने उन्हें अपने साथ जो हुआ वो सब बताया। उस समय मेरा दोस्त सोमधर भी वहां ही था। वो बोला कि मैं तो रात को अपने घर पर सो रहा था। तो वो कोन था जो मेरा साथ कल रात को था? मैं ऐसा सोचा और सब की तरफ देखने लगा।

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