उन दिनों डॉक्टर सुधा विदेश में रहती थी। समय कितना भी बीत गया हो , मुझे अब भी याद है डूसूल्डरोफ शहर में घूमते हुए अचानक एक इमारत मुझे देखने को मिली थी।
उस इमारत का प्लास्टर उखड़ा जा रहा था। बहुत कुछ उखड़ गया था और उसकी जगह लोहे की दीवार लगाई जा रही थी
मैंने अपने सहयोगी द्विभाषीओं पूछा कि आखिर इस इमारत में यह लोहा क्यों लगाया जा रहा है उसने बताया कि कई वर्षों से इस इमारत पर भूत और प्रेत ओं का हमला हो रहा है, जिसके कारण यहां कोई रह नहीं पाता। मुझे पता लगा कि आयात निर्यात करने वाली एक बहुत बड़ी कंपनी का वहां पर कार्यालय था
एक दिन अचानक वह इमारत हिलने लगी और वहां के कर्मचारियों को कुछ भयावह काली आकृतियां दिखाई दी। वह सब वहां से भागे। भागते हुए कंपनी की एक स्टेनो ना जाने किस तरह वहीं रह गई और दूसरे दिन उसे मृत पाया गया।
कंपनी ने वह इमारत छोड़ दी। उसके बाद वहां के एक विख्यात राजनीतिज्ञ ने वह मकान लिया। 15 दिन भी वह नहीं रह पाया था कि सारी रात उसे किसी महिला के क्रंदन के स्वर सुनाई देने लगे। आंख खोलने पर उसे कुछ सफेद आकृतियां दिखाई देती थी
अचानक एक दिन एक आकृति आकर सुंदर पुरुष के रूप में खड़ी होगी। उसने कहा, तुम यह मकान छोड़ दो वरना तुम्हारा राजनीतिक जीवन समाप्त हो जाएगा। उसने यह भी बताया कि यहां व्यापारिक संस्थान था। उसमें एक स्टेनो थी जो अब उसके साथ एक प्रेत के रूप में रह रही है। उस राजनेता ने पहले तो उस पर विश्वास नहीं किया, लेकिन यह घटना लगातार तीन दिन तक होती रही। दूसरे दिन उसे सख्ती से आदेश दिया गया कि वह इस इमारत को छोड़ दें। आखिर उसे वह घर छोड़ना पड़ा।
मुझे बताया गया कि उसके बाद वहां कई लोग आए लेकिन कोई ठहर नहीं सका, इसलिए उस मकान में लोहे की दीवार लगाई जा रही थी। उस लोहे की दीवार में बहुत शक्तिशाली पावर की बिजली दी जाएगी। उनका विश्वास था कि इससे उन्हें प्रेत बाधाओं से मुक्ति मिल जाएगी।
इतने विशाल और सभ्यता में बढ़े हुए देश भी भूत प्रेतों से मुक्त नहीं है। मुझे याद है, उस समय एक महिला मुझसे मिलने होटल में आई। उसने बताया कि उन्हें अनहोनी घटनाओं के आभास होते हैं, और कई बार तो वह परेशान हो जाती है। एक भारतीय होने के नाते उसे विश्वास था कि मेरे पास कोई उपाय अवश्य होगा।
मैं अपने साथ तुलसी की कुछ मालाएं और गंगाजल ले गई थी। उसके साथ ही तांबे का एक यंत्र भी मेरे पास था, जिसे मैं हमेशा अपने पास रखती थी। असल में मेरा पारिवारिक परिवेश बहुत धार्मिक रहा है और तंत्र, मंत्र तथा ज्योतिष में हमारी बड़ी आस्था रही है।
हमारा परिवार इन सब बातों के लिए जाना जाता था और आज भी बहुत से लोग मेरे पास यह सोचकर आ जाते हैं कि मेरी मां के पास जो सकती थी वह मेरे पास भी है, मैंने तुलसी की एक माला और तांबे का वह यंत्र गंगाजल में धोकर उसे दिया। और कहा कि ईश्वर ने चाहा तो प्रेत बाधाओं से तुम्हारा बचाव हो जाएगा। कुछ दिन पहले ही मुझे डूसोलड्रॉप से उसका पत्र मिला है, जिसने बहुत प्रशंसा करते हुए उसने लिखा है कि अब वह हर तरह की बाधाओं से मुक्त है।
भारत जैसे देश में विशेष कर देहातों में और आदिवासी इलाकों में भूत प्रेत और दूसरी विनाशकारी शक्तियों पर प्रायः बहुत से लोग विश्वास करते हैं, लेकिन विकसित और सभ्यता में आगे बढ़े हुए देश भी इसे मानते हैं, अपने आप में नई बात है। इससे यह स्पष्ट है कि प्रेत योनि होती है और बोधात्मक आत्मा परेशान भी करती है। मिस्र के पिरामिड इसके उदाहरण है।
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