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ख़ूनी ढाबा || Real Spirit Stories in Hindi || 2021 ||


 


यह एक सच्ची घटना है बिहार के कुंदन की। कुंदन के साथ जो खौफनाक घटना घटी आज मैं वह आप लोगों को बताने जा रहा हूं।

कुंदन एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाला व्यक्ति था कुंदन के मांबाप इतने बड़े आदमी नहीं थे जो कुंदन को बड़े कॉलेजों में पढ़ाई करवा सकते थे इसलिए कुंदन एक जनरल स्टूडेंट था।

यह कहानी है उन दिनों की जब मैं अपने दोस्त गौरव के साथ एग्जाम देने झारखंड गया था मैं आज भी उसे भुला नहीं सकता एक सबक की तरह वह आज भी मेरे जहन में दबी हुई है

बात दरअसल यूं हुई थी कि झारखंड जाने के लिए हम लोग बस में बैठ चुके थे मैं और गौरव साथ में दोनों एक ही सीट पर बैठे हुए थे। बाहर काफी गर्मी थी पर बस में चल रही ऎसी के कारण हमें कुछ आराम जरूरी मिला और उस समय तक हम लोग काफ़ी खुश थे दूरी काफी थी इसीलिए हम लोग खानेपीने की कुछ सामान तो जरूर ले ही लिए थे अपने साथ  बस खुल चुकी थी बस चलते चलते तकरीबन १00 किलोमीटर की दूरी पर जाकर एक ढाबे पर रुकी।

हम दोनों नीचे उतरे, सोचा ढाबे पर जाकर थोड़ा नाश्ता पानी कर ले। गौरव से पूछा तो गौरव बोला ठीक है चलो और हम लोग ढाबे के अंदर आकर एक कुर्सी पर बैठ गए।

बाहर बहुत तेज गर्मी थी चिलचिलाती धूप, बाहर रास्ते पर चक्कर काटती गोल हवा उठ रही थी मैं रह रह कर उसी को देख रहा था कभी वह रुक जाता और कभी वह फिर से शुरू हो जाता,  मैं काफी देर तक उसे देखता रहा और फिर मैं उस पर से अपना ध्यान हटा लिया।

और हम लोग खाना खा कर बस में बैठने के लिए जा ही रहे थे कि मेरी रुमाल वही रास्ते पर गिर गई और मैं तुरंत नीचे झुककर रुमाल को उठा लिया और अपनी जेब में रख लिया। पता नहीं कहां से एक बुढ़िया मेरे पीछे आकर खड़ी हो गई मैं अचानक से एकदम चौक गया।


फिर मैंने उस बुढ़िया से पूछा क्या हुआ क्या चाहिए आपको। पर वह बुढ़िया कुछ नहीं बोली और अपनी पोटली से एक पुड़िया निकाली और मुझे देने लगीमैंने कहा नहीं मुझे नहीं चाहिए तुम रख लो।

और अचानक उस बुढ़िया ने उस पूड़िये को हवा में फेंक दिया,पूड़िये में से सफेद सब कुछ उड़ा और मेरी नाक तक पहुंचा तो मुझे अचानक छींक आ गई।

मैंने गुस्से में उससे से कहा तुम्हें क्या चाहिए बोलो कह कर एक पांच का सिक्का देखकर वहां से चल दिया और हम लोग आकर बस में बैठ गए। बस अब खुल गई थी और जैसे ही मैंने खिड़की के बाहर झांका तो देखा कि वह बुढ़िया अभी तक वहीं खड़ी है और मेरी ओर देख रही है थोड़ा अजीब सा लगा और मैं खिड़की के अंदर सर को कर लिया।

 

बस उस ढाबे से काफी आगे निकल चुकी थी तकरीबन दोतीन घंटे चलने के बाद बस फिर एक ढाबे पर जाकर रुकी। लेकिन अब रात हो चुकी थी रात के 9:00 बज रहे थे।

हम लोग फिर बस से नीचे उतरे और हाथ मुंह धोने के लिए एक चापाकल के पास गए। वह चापाकल ढाबे से कुछ मीटर की दूरी पर था लगभग 100 मीटर की दूरी रही होगी। हम दोनों हाथ मुंह धो ही रहे थे कि अचानक मुझे उल्टी आने लगी और मैं वहीं चापाकल के पास बैठ गया।

गौरव ने पूछा क्या तुम ठीक होतो मैंने कहा हां मैं ठीक हूं थोड़ा चक्कर आ रहा था। मैंने अपने दोस्त से कहा तुम जाओ तब तक ढाबे पर जाकर नाश्ते का ऑर्डर करो मैं फ्रेश होकर आता हूंगौरव बोला ठीक है तुम जल्दी आना मैं जाकर ऑर्डर देता हूं कह कर वह चला गया।।


मेरा सर तेजी से घूम रहा था लगा मेरे पीछे कोई खड़ा है मैं एकदम से पीछे देखा कोई नहीं था वहां पर मैं अकेला था। फिर मैंने सोचा शायद चक्कर की वजह से ऐसा लग रहा हो।। और मैंने पानी की एक झोंके चेहरे पर मारी और मैं खड़ा हो गया और ढाबे की तरफ बढ़ने लगा ,ढाबे पर जाकर गौरव और मैं एक ही टेबल पर खाने के लिए बैठ गएगौरव ने कहा खाना शुरू करो।

पर मेरा मन बिल्कुल नहीं था और मैंने पूरा खाना छोड़ दियाऔर मैं सिर्फ वहां टेबल पर रखी  पानी की एक गिलास को उठाकर पीने लगापानी गरम थी। तो मैंने वहां पर खड़े एक नौकर से कहा अरे यार तुम लोग कम से कम उस सामने वाली चापाकल से पानी ले आते देखो यह पानी कितना गर्म है।

तो वह नौकर बोला अरे भाई सामने वाला चापाकल महीनों से खराब है उसमें पानी कहां से। यह पानी हम लोग 2 किलोमीटर दूर से लाए हैं कितनी गर्मी है इसी कारण पानी गर्म हो जाता है। नौकर की बात सुनकर हम दोनों एकदम चौंक गएमैंने घबराकर उस नौकर से पूछा अरे भाई मजाक मत करो हमलोग तो अभी उस चापाकल का पानी पीकर आए हैं और तुम बोल रहे हो कि वह खराब है।

वह भी महीनों से पागल हो क्या। नौकर बोला अरे क्या मजाक कर रहे हो आप लोग, वह चापाकल महीनों से एकदम बंद पड़ा है वह बिल्कुल खराब हो चुका है।

नौकर की बात सुनकर हम लोग एकदम से डर गए हमने खाना छोड़ कर उस नौकर को कहा ठीक है चलो उस चापाकल के पास देखते हैं खराब है या अच्छाहोकर बोला चलिए ठीक है चलते हैंऔर हम लोग उस चापाकल तक आए।

मैंने जैसे ही उस चापाकल को चलाया वह बिल्कुल सूखा था उससे पानी की एक बूंद भी नहीं निकलीमैं पूरी तरह से चौक गया मुझे लगा अभी तो हम दोनों ने इतना पानी यहां पर गिराया था अचानक सब कहां चला गया यहां पर तो जमीन बिल्कुल सूखी पड़ी है ऐसा कैसे हो सकता है। आननफानन में हम लोग दौड़कर बस में आकर बैठ गए। हम लोग डरे हुए थे बस यही सोचे जा रहे थे कि ऐसा कैसे हो सकता  है।


बस खुलने में थोड़ी देर थी कि हमने देखा उसी चापाकल के पास वह बुढ़िया खड़ी है जो ढाबे पर मिली थी। हम दोनों बस से फिर नीचे उतर गए और सोचा चापाकल तक जाकर देखते हैं क्या है वहां। हम लोग वहां पहुंच कर देखा कि एक बुढ़िया वही खड़ी है हमने पूछा कौन हो आप यहां क्या कर रहे हो। पर वह बुढ़िया बिल्कुल खामोश रही।

 

हमने देखा की बुढ़िया के सफेद बाल नीचे गिर रहे थेडर कर हम लोग नीचे जैसे ही देखे उस बुढ़िया के पैर में पूरा कीड़ा लगा हुआ था वह सड़ रहा था उसके पैर पर मक्खियां भिन्नभिन्न आ रही थी मानो कोई गला हुआ घाव हो।  हम लोग चिल्ला कर वहां से भागे कि अचानक मेरी मोबाइल वहीं गिर गई। मैंने जैसे ही मोबाइल उठाने की कोशिश की मोबाइल वहां से गायब हो चुका था वह वहां नहीं था।

 

हम मोबाइल छोड़ दौड़कर फिर से बस में आकर बैठ गए। हमें लगा कि आज हमें वह चुड़ैल जान से मार देगी पर हमने भाग कर अपनी जान बचा लीबस जैसे ही खुली हमने सोच लिया था कि अब कहीं ढाबे पर नहीं उतरेंगे। लेकिन अचानक ही सफर के दौरान मुझे खून की उल्टियां आने लगी 

 

बस में मौजूद सभी पैसेंजर भी देख कर घबरा गए। रात तो किसी तरह कट गई। हम लोग समझ चुके थे की एग्जाम देना मेरे लिए मुश्किल है इसलिए अब घर लौट जाना चाहिए। मेरी तबीयत बहुत बिगड़ रही थी। सुबह हो गई थी लेकिन अभी झारखंड पहुंचने में हमें 7 से 8 घंटे और लगते। और ऊपर से मेरी तबीयत भी बहुत खराब थी इसलिए हमने सोचा कि अब मुझसे एग्जाम नहीं हो पाएगा घर लौट जाता हूं।


उसी दिन मेरा दोस्त गौरव भी अपनी एग्जाम मेरे लिए छोड़ कर मेरे साथ घर लौटने के लिए तैयार हो गया। घर आकर मेरी तबीयत तो ठीक हो गई पर मेरे जहन में वही बात लगातार चल रही थी कौन थी वह बुढ़िया और मुझसे क्या चाहती थी क्या वो चुड़ैल थी। मुझे विश्वास हो गया था कि वह चुड़ैल थी और हम लोग उस चुड़ैल के हाथों से बचकर आ रहे थे।।।।

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