खुद अपने साथ घटित सच्ची घटना को बिहार के रहने वाले सौरव बताते हैं कि जो घटना मेरे साथ घटी वह बहुत ही अजीब थी। मैं सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा भी कुछ होता है। मुझे कभी भी इन भूत–प्रेतों पर कतई यकीन नहीं होता था ऐसा नहीं था कि मैं कभी भूत प्रेतों के बारे में नहीं सुनता था मैं सुनता था।
हर बार नई नई बातें पर वह सब मुझे फिजूल लगती थी। पर अचानक जो मेरे जीवन में यह घटना घटी वह मुझे अंदर से झकझोर दी ।अगर मैं आज भी आईने में अपनी तस्वीर देखता हूं तो काफी देर तक खुद को देखता रह जाता हूं। मुझे यकीन नहीं होता कि मैं जीवित भी हूं अभी तक।
इस घटना के द्वारा मैं आप लोगों को डरा नहीं रहा हूं। बल्कि अपनी आपबीती एवं आपको आगाह करने की कोशिश कर रहा हूं।
आपने श्मशान घाट के बारे में तो सुना ही होगा। हर दिन कितनी लाशें वहां जलकर खाक हो जाती है जिसकी गिनती भी नहीं की जा सकती। कहा जाता है कि यहां जलने के बाद व्यक्ति को मुक्ति मिल जाता है पर ऐसा नहीं है। भूत और प्रेत आत्माओं का बहुत बड़ा गढ़ है शमशान।
ऐसा नहीं की आपके साथ कुछ घटना नहीं घटी हो तो वहां आत्मा नहीं है। आत्मा है लेकिन वह बुरी नहीं है और उसे मुक्ति मिल चुकी होती है
लेकिन जब दुष्ट आत्मा से आपका सामना होता है तो आपका जीवित बच पाना मुश्किल हो जाता है। और मेरा सामना एक ऐसा ही दुष्ट आत्मा से हो गया था जिसके बारे में मैं आज आपको बताने जा रहा हूं।
मेरे पड़ोस में एक व्यक्ति कुछ दिनों से बीमार चल रहा था उसे दिमागी बुखार था। उसने हर जगह अपनी इलाज करवाया लेकिन वह ठीक नहीं हो पा रहा था और अचानक एक दिन वह सुबह 4:00 बजे मर गया। मैं और मेरा भाई दोनों उसके घर जाकर देखा तो वह सचमुच मर गया था मैंने उसके चेहरे को देखा आंखों से कुछ सफेद सा तरल पदार्थ बह रहा था। दोनों आंख के पूरी खुली और उसका चेहरा एकदम डरावना था
सुबह से सब व्यवस्था करते हुए लास को घाट तक ले जाने में रात हो चुकी थी। फरवरी का महीना था कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। हम लोग तकरीबन 12 तेरा आदमी थे। इनकी पार्थिव शरीर को जीप के छत पर रस्सी से कस के बांधी हुई थी। और हम दोनों भाई जीभ के पिछले सीट पर बैठे हुए थे।
तेज चल रही गाड़ी और बाहर से आती ठंडी हवा के साए साए की आवाज अंदर से डर का एहसास करवा रही थी। ठंड से हम सभी का हाल बहुत बुरा था और कुछ घंटों में हम घाट तक पहुंच गए थे। रात के तकरीबन 11:12 बज रहे थे। घाट के बगल जीप रुकी, हम और मेरे साथ कुछ लोगों ने मिलकर लाश को जीप से नीचे उतारा
लाश को जीप से नीचे उतारते वक्त मेरे हाथों में जीप के एक कोने से चोट लग गई और मेरे अंगूठे से खून बहने लगा। लेकिन चोट मामूली सी थी इसलिए मैंने उतना गौर नहीं किया उसको हम सब मिलकर नीचे रख दिए।
इतनी ठंडी रात में श्मशान घाट का वह माहौल बहुत ही डराने वाला था। चारों तरफ धू धू कर जलती हुई लाश आग से जलकर गिरती हुई किसी की हाथ एवं सर को देखना एक मन विचलित करने वाला दृश्य था।
उन्हें जलाने के लिए हम लोगों ने लकड़ी ले ली थी और कुछ ही घंटों के अंदर उनकी चिता वही तैयार हो चुकी थी। मैं इनकी लास के बगल में अकेले ही खड़ा था। बाकी सभी लोग चिता के पास खड़े थे उनके और मेरे बीच 30 से 40 मीटर का फासला था।
मैं लास को अपने हाथों से पकड़े हुए बैठा हुआ था। लास का चेहरा कपड़े से ढका हुआ था। पता नहीं अचानक कहां से जोर की हवा चली मैं तो उस तरफ देख रहा था जिस तरफ चीता थी। लेकिन जैसे ही मैंने लाश की तरफ देखा तो मेरे होश उड़ गए। कपड़ा उनके मुंह पर से हट चुका था।
मुझे अच्छी तरह से याद है कि उनका चेहरा तो पहले जैसा बिल्कुल भी नहीं था आंखों की पुतलियां एकदम फैली हुई थी ने देखने पर ऐसा लग रहा था कि वह मुझे ही घूर रहे हो। मैं डर गया और अपने भाई को आवाज देकर वहां बुलाया, मेरा भाई वहां आकर उनकी मुंह पर वह कपड़ा फिर से रख दिया और बोला चलो लाश को वहां चल कर रख देते हैं। और इसी बीच कुछ और लोग वहां आकर उस लाश को उठाकर चिता पर रख दिया था।
कुछ ही समय बाद पता नहीं मुझे क्या हो रहा था मुझे डर लग रहा था मैं लाश से अब 20 30 कदम पीछे की ओर हट गया था। और अब लाश जलना शुरू हो गया था। मैंने अपनी आंखों से देखा उनकी हाथ, चेहरे एवं समस्त अंग वह आग से जल रही थी। आग से जलकर चेहरे से पिघल रहे चमड़ी देख कर मेरा मन और विचलित हो गया। मैं डर कर और थोड़ी दूर पर जाकर खड़ा हो गया था बिल्कुल अकेला।
मैं भले ही वहां अकेले खड़ा हो गया था पर मुझे यह लग रहा था कि मेरे पीछे कई सारे लोग खड़े हैं। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो वहां कोई भी नहीं था सिवाय मेरे।
सुच हो रहा था कि मेरे पीछे कोई औरत खड़ी है। जो धीमी फुसफुस की आवाज में किसी से बातें कर रही है ।और ऊपर से जल रही चीते की दुर्गंध मेरी नाकों तक पहुंच रही थी जिसके कारण मुझे और भी अजीब सा लग रहा था।
और मैं अचानक ही अपने भाई को बुलाकर वहां से तुरंत चलने के लिए कहने लगा। वह बोला अरे रुको कुछ देर में तो सब लोग ही चलेंगे, क्या हुआ तुम्हें इतनी जल्दी में क्यों हो। आप रुके तो रुके पर हम जा रहे हैं और यह कह कर मैं जाने लगा।
तभी मेरे भाई ने फिर से कहा ठीक है मैं भी चलता हूं तुम्हारे साथ लेकिन पहले इन लोगों को बता तो दूं। यह का कर भाई उन लोगों के पास चले गए। मैं वहां अकेले खड़ा था और मेरा भाई वहां उन लोगों से जाने की बात कर रहा था।
मुझे बस इतना तक याद है कि मैं वहां अकेले खड़ा था और उसके बाद मेरे साथ क्या हुआ मुझे कुछ भी याद नहीं। जैसे ही मेरी आंखें खुली मैंने खुद को अपने घर में पाया मैं चौक कर उठा, मैंने सामने खड़े अपने भाई से पूछा अरे मैं यहां कैसे आ गया मैं तो वहां घाट पर था।
तभी मेरा भाई कहने लगा तुम वही बेहोश पड़े थे घाट पर जब मैं उन लोगों से बात करने के लिए गया था। मैंने देखा कि तुम बेहोश हो तो हम लोगों ने तुम्हें घर तक लेकर आए। खड़े सभी लोग मुझसे पूछने लगेगी आखिर क्या हुआ तुम बेहोश कैसे हो गए। तब मैंने पूरी बात उन्हें बताई।
वहां खड़े एक मेरे करीबी ब्राह्मण ने मुझे बताया कि तुम्हें याद होना चाहिए कि तुम्हारी उंगली कटी थी वहां उस में से खून भी बहा रहा था। कभी भी शमशान पर?पर अपने खून की एक भी बूंद गिरने मत दो, क्योंकि खून की खुशबू से वहां खड़ी सारी आत्माएं जागृत हो जाती है। और जरूर तुम्हारा खून वहां एक दो बूंद गिरा ही होगा। तभी तुम्हें ऐसा महसूस हो रहा था तुम बहुत भाग्यशाली हो कि तुम आज मौत के मुंह से बचकर आ रहे हो क्योंकि कुछ आत्मा बहुत ही बुरी होती है
तब जाकर मुझे अपनी गलतियों का एहसास हुआ मैंने उसी समय कसम खा ली, कभी भी भूत प्रेत के मामले में रिस्क नहीं लूंगा। मुझे उस घटना के बाद दो–तीन महीने तक स्वप्न में वही सब देखता रहा था
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